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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2777
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- कृषि क्षेत्र में सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी की भूमिका का सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, भारत में कृषि की निगरानी करने के लिए सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने हेतु सरकार द्वारा आरम्भ किए गए विभिन्न कार्यक्रमों को भी सूचीबद्ध कीजिए।

उत्तर -

सुदूर संवेदन का आशय किसी वस्तु के साथ बिना किसी भौतिक सम्पर्क के उस वस्तु या परिघटना से संबंधित सूचनाओं को प्राप्त करने की पद्धति से है। कृषि क्षेत्रक में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-

(1) फसल क्षेत्रफल एवं उत्पादन आकलन - फसल उत्पादन का अनुमान, फसल क्षेत्रफल आकलन तथा एक दिए गए क्षेत्र में अनुमानित उपज का पूर्वानुमान करने में।

(2) फसल वृद्धि तथा फसल क्षति का मूल्यांकन - फसल क्षति से संबंधित वास्तविक क्षेत्रफल का निर्धारण करने तथा खेत में शेष फसल की प्रोग्रेस रिपोर्ट उपलब्ध करवाने में।

(3) फसल प्रणाली की स्थिति का विश्लेषण - फसल वृद्धि चक्र के दौरान नियमित अंतरालों पर फसलों की निगरानी करना।

(4) फसल रोपण और कटाई की तिथियों की पहचान - मौसम प्रतिरूपों तथा मृदा प्रकारों जैसे कारकों के पर्यवेक्षण के आधार पर प्रत्येक फसल के रोपण और कटाई अवधियों का पूर्वानुमान करना।

(5) फसल में पोषक तत्वों की कमी का पता लगाना - पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधों में होने वाले आकारिकी सम्बन्धी परिवर्तनों यथा रंग, नमी की मात्रा तथा पत्तियों की आंतरिक संरचना में परिवर्तन की निगरानी रखना।

(6) कीट एवं रोग संक्रमण की पहचान - उचित कीट नियंत्रण तन्त्र को अपनाने से सम्बन्धित आँकड़े प्रदान करना।

(7) अन्य प्रयोगों में शामिल हैं - मृदा आर्द्रता आकलन, सिंचाई निगरानी एवं प्रबंधन, मृदा मानचित्रण, सूखे की निगरानी, भू-निम्नीकरण तथा मानचित्रण, समस्याग्रस्त मृदा की पहचान इत्यादि।

इस प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए भारत सरकार द्वारा निम्नलिखित कार्यक्रम आरंभ किए गए हैं-

(1) अंतरिक्ष, कृषि - मौसम विज्ञान और भूमि आधारित अवलोकनों के प्रयोग से कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान किया जा सकता है। सुदूर संवेदन के कारण ही महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ है। इसका उद्देश्य मौसम के दौरान फसल पूर्वानुमान एवं फसल स्वास्थ्य स्थिति आदि के संबंध में सुदूर संवेदन के प्रचालनात्मक प्रयोग द्वारा सूचना उपलब्ध कराना है।

(2) राष्ट्रीय कृषि सूखा आकलन और निगरानी प्रणाली (NADAMAS) - यह कार्यक्रम देश के 13 सूखा सुभेद्य राज्यों को कवर करता है। इसके द्वारा राज्य, जिला और उप जिला स्तर पर कृषि सूखे के प्रसार, स्थानिक विस्तार तथा प्रबलता के संबंध में सुदूर संवेदन आधारित रियल टाइम सूचना प्रदान की जाती है।

(3 ) कोऑर्डिनेटर हॉर्टिकल्चर असेसमेंट एंड मैनेजमेंट यूजिंग जियोइंफॉर्मेटिक्स (CHAMAN) - यह बागवानी विकास हेतु कार्य योजनाओं तथा डिजिटल इन्वेंट्री के निर्माण हेतु सुदूर संवेदी आंकड़ों के साथ भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) उपकरणों का उपयोग करता है।

(4) सुदूर संवेदन और भोगोलिक सूचना प्रणाली के प्रयोग द्वारा चाय उत्पादक क्षेत्र का विकास और प्रबंधन - इसके अंतर्गत खण्डों के विवरण, छंटाई के प्रकार, छायादार वृक्षों के घनत्व आदि के साथ चाय बागानों के सटीक मानचित्रण हेतु मल्टीस्पेक्ट्रल तथा मल्टी-रिजॉल्यूशन उपग्रह डेटा का उपयोग किया जाता है।

(5) राष्ट्रीय कृषि भूमि - उपयोग मानचित्रण - खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने हेतु संभावित क्षेत्रों की पहचान और योजना निर्माण हेतु निवल बुआई क्षेत्र और फसल आवृत्ति से संबंधित रियल टाइम भिन्नताओं की जानकारी उपलब्ध कराना।

इस प्रकार फसल उत्पादन सांख्यिकी से संबंधित अद्यतित जानकारी देने तथा संधारणीय कृषि के लिए आगत उपलब्ध कराने हेतु सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी का प्रभावशाली प्रयोग किया जा रहा है।

फसलों के नुकसान के सटीक आकलन में कारगर

भारत में अक्सर ओले पड़ने और भारी बारिश के कारण फसलों को बहुत नुकसान होता है और इसका समय पर सटीक मूल्यांकन न हो पाने से किसानों को उचित मुआवाज नहीं मिल पाता है। बारिश और ओलावृटि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले फसलों के नुकसान का आकलन रिपोर्ट सेंसिंग तकनीक की मदद से अब ज्यादा सटीक तरीके से किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का आकलन करने में रिमोट सेंसिंग तकनीक ज्यादा कारगर साबित हो सकती है।

भारत में मौसम की मार से बर्बाद हुई फसलों का सटीक आकलन नहीं हो पाने के कारण कई बार किसानों को समय से मुआवजा नहीं मिल पाता है। ऐसे में नई दिल्ली स्थित महालनोबिस राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र के अध्ययनकर्ताओं ने फसलों के नुकसान के आकलन से जुड़ी इस मुश्किल को दूर करने के लिए अब रिमोट सेंसिंग का उपयोग करके एक नया रास्ता दिखाया है। आमतौर पर फसलों के नुकसान का मूल्यांकन अनुमान के आधार पर किया जाता है, जो प्रायः हकीकत से दूर होते हैं। वास्तविक आकलन के लिए बड़े पैमाने पर और जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण करने पड़ते हैं, जिसमें बहुत अधिक समय, धन और श्रम लगता है। इसके बावजूद प्राप्त आंकड़े पूरी तरह सटीक नहीं कहे जा सकते। रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है। इसमें उपग्रह से प्राप्त चित्रों द्वारा कई तरह के मानचित्र कम समय में आसानी से तैयार किए जा सकते हैं। इस तकनीक का उपयोग करते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने इसरो के उपग्रह रिसोर्ससेट-2 एडब्ल्यूआईएफएस से प्राप्त आंकड़ों तथा मानचित्रों द्वारा फरवरी और मार्च 2015 के दोरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में भारी वर्षा और ओलावृष्टि से बड़े पैमाने पर गेहूँ की फसल के नुकसान का मूल्यांकन किया। वैज्ञानिकों ने मध्य प्रदेश के दो जिलों में प्रायोगिक तौर पर फसलों की कटाई से वास्तविक नुकसान का आकलन किया और रिमोट सेंसिंग से प्राप्त आंकड़ों से उनकी तुलना की। उन्होंने पाया कि वास्तविक और रिमोट सेंसिंग से निकाली गई फसल उत्पादन हानि के आंकड़े काफी हद तक मेल खाते हैं।

रिमोट सेंसिंग चित्रों के उपयोग से क्षतिग्रस्त फसल क्षेत्र के मूल्यांकन के लिए एक वैज्ञानिक विकल्प मिल गया है। अब कृषि बीमा कंपनियां और नीति निर्माता ओलावृष्टि और भारी बारिश सहित अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसलों को होने वाले नुकसान का सही आकलन करने के लिए रिमोट सेंसिंग डाटा का उपयोग कर सकते हैं। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार फसलों के नुकसान का आकलन करने के लिए यह एक सटीक तरीका साबित हो सकता है। पहले भी इसका इस्तेमाल अमेरिका के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि और तूफान के कारण हुए फसलों के नुकसान का पता लगाने के लिए किया जा चुका है। हालांकि, भारत में इस तरह का प्रयोग अभी तक नहीं किया गया था।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक भारत सरकार के हाल ही में लाए गए फसल बीमा कार्यक्रम (प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना) के तहत खेतों के स्तर पर फसलों के नुकसान का आकलन करने में सहायक साबित हो सकती है। इसके लिए बहुत ज्यादा स्पष्ट दिखने वाले रिमोट सेंसिंग चित्रों की आवश्यकता होगी। साथ ही फसल के नुकसान की मात्रा के निर्धारण के लिए रिमोट सेंसिंग सूचकांक आधारित मॉडल विकसित करने की भी जरूरत है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- सुदूर संवेदन से आप क्या समझते हैं? विभिन्न विद्वानों के सुदूर संवेदन के बारे में क्या विचार हैं? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- भूगोल में सुदूर संवेदन की सार्थकता एवं उपयोगिता पर विस्तृत लेख लिखिए।
  3. प्रश्न- सुदूर संवेदन के अंतर्राष्ट्रीय विकास पर टिप्पणी कीजिए।
  4. प्रश्न- सुदूर संवेदन के भारतीय इतिहास एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- सुदूर संवेदन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- सुदूर संवेदन को परिभाषित कीजिए।
  7. प्रश्न- सुदूर संवेदन के लाभ लिखिए।
  8. प्रश्न- सुदूर संवेदन के विषय क्षेत्र पर टिप्पणी लिखिए।
  9. प्रश्न- भारत में सुदूर संवेदन के उपयोग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  10. प्रश्न- सुदूर संवेदी के प्रकार लिखिए।
  11. प्रश्न- सुदूर संवेदन की प्रक्रियाएँ एवं तत्व क्या हैं? वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- उपग्रहों की कक्षा (Orbit) एवं उपयोगों के आधार पर वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
  13. प्रश्न- भारत के कृत्रिम उपग्रहों के कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्य के आधार पर उपग्रहों का विभाजन कीजिए।
  15. प्रश्न- कार्यप्रणाली के आधार पर सुदूर संवेदी उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
  16. प्रश्न- अंतर वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- भारत में उपग्रहों के इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- भू-स्थाई उपग्रह किसे कहते हैं?
  19. प्रश्न- ध्रुवीय उपग्रह किसे कहते हैं?
  20. प्रश्न- उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं?
  21. प्रश्न- सुदूर संवेदन की आधारभूत संकल्पना का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम के सम्बन्ध में विस्तार से अपने विचार रखिए।
  23. प्रश्न- वायुमण्डलीय प्रकीर्णन को विस्तार से समझाइए।
  24. प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रमी प्रदेश के लक्षण लिखिए।
  25. प्रश्न- ऊर्जा विकिरण सम्बन्धी संकल्पनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। ऊर्जा
  26. प्रश्न- स्पेक्ट्रल बैण्ड से आप क्या समझते हैं?
  27. प्रश्न- स्पेक्ट्रल विभेदन के बारे में अपने विचार लिखिए।
  28. प्रश्न- सुदूर संवेदन की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- सुदूर संवेदन की कार्य प्रणाली को चित्र सहित समझाइये |
  30. प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्रकार और अनुप्रयोगों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- सुदूर संवेदन के प्लेटफॉर्म से आपका क्या आशय है? प्लेटफॉर्म कितने प्रकार के होते हैं?
  33. प्रश्न- सुदूर संवेदन के वायुमण्डल आधारित प्लेटफॉर्म की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- भू-संसाधन उपग्रहों को विस्तार से समझाइए।
  35. प्रश्न- 'सुदूर संवेदन में प्लेटफार्म' से आप क्या समझते हैं?
  36. प्रश्न- वायुयान आधारित प्लेटफॉर्म उपग्रह के लाभ और कमियों का वर्णन कीजिये।
  37. प्रश्न- विभेदन से आपका क्या आशय है? इसके प्रकारों का भी विस्तृत वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- फोटोग्राफी संवेदक (स्कैनर ) क्या है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सुदूर संवेदन में उपयोग होने वाले प्रमुख संवेदकों (कैमरों ) का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- हवाई फोटोग्राफी की विधियों की व्याख्या कीजिए एवं वायु फोटोचित्रों के प्रकार बताइये।
  41. प्रश्न- प्रकाशीय संवेदक से आप क्या समझते हैं?
  42. प्रश्न- सुदूर संवेदन के संवेदक से आपका क्या आशय है?
  43. प्रश्न- लघुतरंग संवेदक (Microwave sensors) को समझाइये |
  44. प्रश्न- प्रतिबिंब निर्वचन के तत्वों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- सुदूर संवेदन में आँकड़ों से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- उपग्रह से प्राप्त प्रतिबिंबों का निर्वचन किस प्रकार किया जाता है?
  47. प्रश्न- अंकिय बिम्ब प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण से आप क्या समझते हैं? डिजिटल प्रक्रमण प्रणाली को भी समझाइए।
  49. प्रश्न- डिजिटल इमेज प्रक्रमण के तहत इमेज उच्चीकरण तकनीक की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- बिम्ब वर्गीकरण प्रक्रिया को विस्तार से समझाइए।
  51. प्रश्न- इमेज कितने प्रकार की होती है? समझाइए।
  52. प्रश्न- निरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण और अनिरीक्षणात्मक बिम्ब वर्गीकरण के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
  53. प्रश्न- भू-विज्ञान के क्षेत्र में सुदूर संवेदन ने किस प्रकार क्रांतिकारी सहयोग प्रदान किया है? विस्तार से समझाइए।
  54. प्रश्न- समुद्री अध्ययन में सुदूर संवेदन किस प्रकार सहायक है? विस्तृत विवेचना कीजिए।
  55. प्रश्न- वानिकी में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- कृषि क्षेत्र में सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी की भूमिका का सविस्तार वर्णन कीजिए। साथ ही, भारत में कृषि की निगरानी करने के लिए सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने हेतु सरकार द्वारा आरम्भ किए गए विभिन्न कार्यक्रमों को भी सूचीबद्ध कीजिए।
  57. प्रश्न- भूगोल में सूदूर संवेदन के अनुप्रयोगों पर टिप्पणी लिखिए।
  58. प्रश्न- मृदा मानचित्रण के क्षेत्र में सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- लघु मापक मानचित्रण और सुदूर संवेदन के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  60. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का अर्थ, परिभाषा एवं कार्यक्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
  61. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के भौगोलिक उपागम से आपका क्या आशय है? इसके प्रमुख चरणों का भी वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के विकास की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली का व्याख्यात्मक वर्णन प्रस्तुत कीजिए।
  64. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के उपयोग क्या हैं? विस्तृत विवरण दीजिए।
  65. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र (GI.S.)से क्या तात्पर्य है?
  66. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  67. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के उद्देश्य बताइये।
  68. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र का कार्य क्या है?
  69. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के प्रकार समझाइये |
  70. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र की अभिकल्पना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- भौगोलिक सूचना तंत्र के क्या लाभ हैं?
  72. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में उपयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में कम्प्यूटर के उपयोग का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  74. प्रश्न- GIS में आँकड़ों के प्रकार एवं संरचना पर प्रकाश डालिये।
  75. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली के सन्दर्भ में कम्प्यूटर की संग्रहण युक्तियों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- आर्क जी०आई०एस० से आप क्या समझते हैं? इसके प्रशिक्षण और लाभ के संबंध में विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  77. प्रश्न- भौगोलिक सूचना प्रणाली में प्रयोग होने वाले हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- ERDAS इमेजिन सॉफ्टवेयर की अपने शब्दों में समीक्षा कीजिए।
  79. प्रश्न- QGIS (क्यू०जी०आई०एस०) के संबंध में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- विश्वस्तरीय सन्दर्भ प्रणाली से आपका क्या आशय है? निर्देशांक प्रणाली के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- डाटा मॉडल अर्थात् आँकड़ा मॉडल से आप क्या समझते हैं? इसके कार्य, संकल्पना और उपागम का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- रॉस्टर मॉडल की विवेचना कीजिए। इस मॉडल की क्षमताओं का भी वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- विक्टर मॉडल की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- कार्टोग्राफिक संकेतीकरण त्रिविम आकृति एवं मानचित्र के प्रकार मुद्रण विधि का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- रॉस्टर मॉडल की कमियों और लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- विक्टर मॉडल की कमियों और लाभ के सम्बन्ध में अपने विचार लिखिए।
  87. प्रश्न- रॉस्टर और विक्टर मॉडल के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- डेटाम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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